श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 93.1
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 93.1 
बर अनुहारि बरात न भाई। हँसी करैहहु पर पुर जाई॥
बिष्नु बचन सुनि सुर मुसुकाने। निज निज सेन सहित बिलगाने॥1॥
 
अनुवाद
 
 हे भाई! हमारी यह बारात दूल्हे के योग्य नहीं है। क्या तुम पराये नगर में जाकर लोगों को हँसाओगे? भगवान विष्णु की बात सुनकर देवता मुस्कुराये और वे अपनी-अपनी सेनाओं सहित अलग हो गये।
 
O brother! This procession of ours is not worthy of the groom. Will you go to a strange city and make people laugh? Hearing Lord Vishnu's words, the gods smiled and they separated with their respective armies.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.