श्री रामचरितमानस » काण्ड 1: बाल काण्ड » चौपाई 79.4 |
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| | काण्ड 1 - चौपाई 79.4  | कहहु कवन सुखु अस बरु पाएँ। भल भूलिहु ठग के बौराएँ॥
पंच कहें सिवँ सती बिबाही। पुनि अवडेरि मराएन्हि ताही॥4॥ | | अनुवाद | | बोलो, ऐसा वर पाकर तुम्हें क्या सुख मिलेगा? उस कपटी (नारद) के बहकावे में आकर तुमने बहुत बड़ी भूल की है। पहले शिव ने पंचों की सलाह पर सती से विवाह किया था, परन्तु फिर उन्होंने उसे त्याग दिया और मरवा डाला। | | Tell me, what happiness will you get if you get such a groom? You have made a big mistake by getting misled by that fraud (Narada). Earlier, Shiv had married Sati on the advice of the Panchas, but then he abandoned her and got her killed. |
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