श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 60.2
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 60.2 
राम नाम सिव सुमिरन लागे। जानेउ सतीं जगतपति जागे॥
जाइ संभु पद बंदनु कीन्हा। सनमुख संकर आसनु दीन्हा॥2॥
 
अनुवाद
 
 शिवजी राम नाम जपने लगे, तब सतीजी को एहसास हुआ कि अब जगत के स्वामी (शिवजी) जाग गए हैं। वे जाकर शिवजी के चरणों में झुक गईं। शिवजी ने उन्हें अपने सामने बैठने के लिए आसन दिया।
 
Shivji started chanting Ram's name, then Satiji realized that now the Lord of the world (Shivji) has awakened. She went and bowed down at Shivji's feet. Shivji offered her a seat in front of him to sit.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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