श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 48a.2
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 48a.2 
रामकथा मुनिबर्ज बखानी। सुनी महेस परम सुखु मानी॥
रिषि पूछी हरिभगति सुहाई। कही संभु अधिकारी पाई॥2॥
 
अनुवाद
 
 अगस्त्य ऋषि ने विस्तारपूर्वक रामकथा सुनाई, जिसे महेश्वर ने अत्यंत आनंदपूर्वक सुना। फिर ऋषि ने भगवान शिव से हरि की सुंदर भक्ति के विषय में पूछा और भगवान शिव ने उन्हें योग्य पाकर उस भक्ति (रहस्य सहित) का वर्णन किया।
 
Sage Agastya narrated the story of Rama in detail, which Maheshwar listened to with utmost pleasure. Then the sage asked Lord Shiva about the beautiful devotion of Hari and Lord Shiva, finding him worthy, explained the devotion (with its secrets).
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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