श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 39.7
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 39.7 
नदी पुनीत सुमानस नंदिनि। कलिमल तृन तरु मूल निकंदिनि॥7॥
 
अनुवाद
 
 मानस सरोवर की पुत्री यह सुन्दर सरयू नदी अत्यन्त पवित्र है तथा कलियुग के पापरूपी (छोटे-बड़े) तिनकों और वृक्षों को जड़ से उखाड़ फेंकने वाली है।
 
This beautiful river Saryu, the daughter of Manas Sarovar, is very sacred and is the one that uproots the straws and trees of sins (big and small) of Kaliyug from their roots.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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