श्री रामचरितमानस » काण्ड 1: बाल काण्ड » चौपाई 39.6 |
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| | काण्ड 1 - चौपाई 39.6  | चली सुभग कबिता सरिता सो। राम बिमल जस जल भरित सो।
सरजू नाम सुमंगल मूला। लोक बेद मत मंजुल कूला॥6॥ | | अनुवाद | | उसी से सुन्दर काव्य की नदी प्रवाहित हुई, जो श्रीराम के यश के निर्मल जल से परिपूर्ण है। इस (काव्य की नदी) का नाम सरयू है, जो समस्त सुन्दर मंगलों का मूल है। लोकमत और वेदमत इसके दो सुन्दर तट हैं। | | From that flowed the river of beautiful poetry, which is filled with the pure water of Shri Ram's fame. The name of this (river of poetry) is Saryu, which is the root of all beautiful auspiciousness. Lokmat and Vedmat are its two beautiful banks. |
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