श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 352.1
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 352.1 
जो बसिष्ट अनुसासन दीन्ही। लोक बेद बिधि सादर कीन्ही॥
भूसुर भीर देखि सब रानी। सादर उठीं भाग्य बड़ जानी॥1॥
 
अनुवाद
 
 राजा ने लोक और वेद के नियमों के अनुसार वशिष्ठजी द्वारा दी गई आज्ञा का आदरपूर्वक पालन किया।ब्राह्मणों की भीड़ देखकर सभी रानियाँ अपना महान सौभाग्य जानकर आदरपूर्वक खड़ी हो गईं।
 
The king respectfully followed the orders given by Vashishthaji according to the rules of the world and Vedas. Seeing the crowd of Brahmins, all the queens stood up respectfully, knowing their great fortune.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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