श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 323.3
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 323.3 
सुर प्रनामु करि बरिसहिं फूला। मुनि असीस धुनि मंगल मूला॥
गान निसान कोलाहलु भारी। प्रेम प्रमोद मगन नर नारी॥3॥
 
अनुवाद
 
 देवतागण श्रद्धापूर्वक पुष्प वर्षा कर रहे हैं। मंगल ऋषियों के आशीर्वाद सुनाई दे रहे हैं। गीतों और ढोल-नगाड़ों की ध्वनि से बड़ा शोर हो रहा है। सभी नर-नारी प्रेम और आनंद में डूबे हुए हैं।
 
The gods are showering flowers after paying their respects. The blessings of the sages of Mangal are being heard. There is a lot of noise due to the songs and the sound of drums. All men and women are immersed in love and happiness.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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