श्री रामचरितमानस » काण्ड 1: बाल काण्ड » चौपाई 305.3 |
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| | काण्ड 1 - चौपाई 305.3  | मंगल सगुन सुगंध सुहाए। बहुत भाँति महिपाल पठाए॥
दधि चिउरा उपहार अपारा। भरि भरि काँवरि चले कहारा॥3॥ | | अनुवाद | | राजा ने अनेक प्रकार के सुगन्धित और सुखदायक शुभ द्रव्य और मंगलकारी वस्तुएँ भी भेजीं। पालकी उठाने वालों ने दही, मुरमुरे और असंख्य उपहार पालकियों में लादकर प्रस्थान किया। | | The king also sent many kinds of fragrant and pleasant auspicious substances and auspicious items. The palanquin bearers loaded curd, puffed rice and innumerable gifts into the palanquins and set off. |
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