श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 290.4
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 290.4 
खेलत रहे तहाँ सुधि पाई। आए भरतु सहित हित भाई॥
पूछत अति सनेहँ सकुचाई। तात कहाँ तें पाती आई॥4॥
 
अनुवाद
 
 समाचार पाकर भरतजी उस स्थान पर आए जहाँ वे अपने मित्रों और भाई शत्रुघ्न के साथ खेला करते थे। उन्होंने बड़े प्रेम और संकोच से पूछा- पिताजी! पत्र कहाँ से आया?
 
Bharatji came to the place where he used to play with his friends and brother Shatrughna after getting the news. He asked very lovingly and hesitantly- Father! Where did the letter come from?
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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