श्री रामचरितमानस » काण्ड 1: बाल काण्ड » चौपाई 271.3 |
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| | काण्ड 1 - चौपाई 271.3  | सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा॥
सुनि मुनि बचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अपमाने॥3॥ | | अनुवाद | | उसे यह समाज छोड़ देना चाहिए, अन्यथा सभी राजा मारे जाएँगे। ऋषि की बातें सुनकर लक्ष्मण मुस्कुराए और परशुराम जी का अपमान करते हुए बोले- | | He should leave this society or else all the kings will be killed. Hearing the sage's words, Lakshmana smiled and insulting Parshuram ji said- |
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