श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 229.1
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 229.1 
देखन बागु कुअँर दुइ आए। बय किसोर सब भाँति सुहाए॥
स्याम गौर किमि कहौं बखानी। गिरा अनयन नयन बिनु बानी॥1॥
 
अनुवाद
 
 (उसने कहा-) दो राजकुमार बाग़ देखने आए हैं। वे किशोरावस्था में हैं और हर तरह से सुंदर हैं। वे काले और गोरे हैं, मैं उनकी सुंदरता का वर्णन कैसे करूँ? वाणी बिना आँखों के होती है और वाणी बिना आँखों के होती है।
 
(He said-) Two princes have come to see the garden. They are in their teens and are beautiful in every way. They are dark and fair (in complexion), how can I describe their beauty. Speech is without eyes and speech is without eyes.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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