श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 217.1
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 217.1 
मुनि तव चरन देखि कह राऊ। कहि न सकउँ निज पुन्य प्रभाऊ॥
सुंदर स्याम गौर दोउ भ्राता। आनँदहू के आनँद दाता॥1॥
 
अनुवाद
 
 राजा ने कहा- हे मुनि! आपके चरणों को देखकर मैं अपने पुण्यों की शक्ति का वर्णन नहीं कर सकता। सुन्दर श्याम और गौर वर्ण वाले ये दोनों भाई आनन्द को भी आनन्द देने वाले हैं।
 
The king said- O sage! I cannot describe the power of my good deeds by seeing your feet. These two brothers of beautiful dark and fair complexion are going to give joy to Anand as well.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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