श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 203.2
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 203.2 
चूड़ाकरन कीन्ह गुरु जाई। बिप्रन्ह पुनि दछिना बहु पाई॥
परम मनोहर चरित अपारा। करत फिरत चारिउ सुकुमारा॥2॥
 
अनुवाद
 
 फिर गुरुजी ने जाकर चूड़ाकर्म संस्कार करवाया। ब्राह्मणों को फिर से बहुत-सी दक्षिणा मिली। चारों सुंदर राजकुमार बड़े ही मनमोहक और अद्भुत कर्म करते हुए इधर-उधर घूमने लगे।
 
Then Guruji went and performed the Chudakarma ceremony. The Brahmins again received a lot of Dakshina. The four handsome princes wandered around performing very charming and wonderful acts.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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