श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 173.2
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 173.2 
बिबिध मृगन्ह कर आमिष राँधा। तेहि महुँ बिप्र माँसु खल साँधा॥
भोजन कहुँ सब बिप्र बोलाए। पद पखारि सादर बैठाए॥2॥
 
अनुवाद
 
 उसने अनेक प्रकार के पशुओं का मांस पकाया और उसमें ब्राह्मणों का मांस मिला दिया। उसने सभी ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलाया और उनके पैर धोकर उन्हें आदरपूर्वक बैठाया।
 
He cooked meat of many kinds of animals and mixed the meat of Brahmins in it. He called all the Brahmins for food and made them sit with respect after washing their feet.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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