श्री रामचरितमानस » काण्ड 1: बाल काण्ड » चौपाई 148.1 |
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| | काण्ड 1 - चौपाई 148.1  | पद राजीव बरनि नहिं जाहीं। मुनि मन मधुप बसहिं जेन्ह माहीं॥
बाम भाग सोभति अनुकूला। आदिसक्ति छबिनिधि जगमूला॥1॥ | | अनुवाद | | भगवान के चरणकमलों में, जिनमें मुनियों के मन रूपी मधुमक्खियाँ निवास करती हैं, उनका वर्णन नहीं किया जा सकता। भगवान की सदैव कृपालु रहने वाली, सौन्दर्य की स्रोता तथा जगत की मूल कारणस्वरूपा आदिशक्ति श्री जानकी भगवान के वामभाग में सुशोभित हैं। | | The lotus feet of the Lord in which the bees of the sages' mind reside cannot be described. The Adi Shakti (Prime Power) Shri Janaki, who is always favorable to the Lord and is the source of beauty and the root cause of the universe, is adorned on the left side of the Lord. |
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