श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 140.4
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 140.4 
यह प्रसंग मैं कहा भवानी। हरिमायाँ मोहहिं मुनि ग्यानी॥
प्रभु कौतुकी प्रनत हितकारी। सेवत सुलभ सकल दुखहारी॥4॥
 
अनुवाद
 
 (भगवान शिव कहते हैं) हे पार्वती! मैंने यह प्रसंग तुम्हें यह बताने के लिए सुनाया है कि बुद्धिमान ऋषिगण भी भगवान की माया से मोहित हो जाते हैं। भगवान चंचल (चंचल) हैं और शरणागतों के हितैषी हैं। उनकी सेवा अत्यंत सुगम है और वे सभी दुःखों का निवारण करते हैं।
 
(Lord Shiva says) O Parvati! I have told this incident to tell you that even wise sages get fascinated by the illusion of God. God is playful (playful) and is the benefactor of those who surrender. He is very easy to serve and removes all sorrows.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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