श्रील प्रभुपाद के हिंदी में प्रवचन  »  760825BG-HYDERABAD_Hindi.MP3
 
 
 
श्रीमद् भगवद्-गीता 1.1
हैदराबाद, 25-अगस्त-1976
 
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दीतराष्टर सेट ओ सांजाई आफ्टर असेम्बलिंग इन प्लेस पिल्गरमिज एट कुरुपशेच्र वाट दिद माई संज इन द संज पांडू दू बींग डिजायरस टू फाइट
माराज्जेतराष्ट्र पूछा संजाई
संजाई, संजाई पूछे से कर्यते दी, उसे पूछा की अमारे जर्टें मामका और पांड़वा
पर अमारे छज़ा भाई कुने के
से
उम्मीद भी
उम्मीद भाई अमारे छज़ा भाई कुने के
पांड़व लोग ये सब लड़ाई करने के लिए तो धान्मक खेत्र में गए फिर क्या क्या? ये पूछ रहे हैं
तो बड़ा सरल है धान्मक खेत्र पुरुत खेत्र
पुरुत खेत्र दिल्ली का बाजी है अभी तक पुरुत खेत्र मजूत है और वो धार्म खेत्र है
पुरुत खेत्र में अभी तक चर्दrows
आधिक
भागशात से हिंदु लोग पर जाते हैं, और उदर धर्मजाज़म करते हैं, वेद में भी लिखा है कि उरुख्यत में जा करके धर्मजाज़म करो।
फिर उसमें इदर उदर बात करने का क्या जरूर है? Interpretation. What is the Hindi of interpretation?
भाष्य विदाद. भाष्य विदाद. भाष्य विदाद. भाष्य विदाद. भाष्य विदाद कमेंट.
Interpretation वह अर्थबात. एक अर्थ दुजा अर्थ विदाद.
Real meaning, interpretation, अर्थबात. तो ये सब मुर्ख लोग करते हैं, कुरुख्यत्र का अर्थ है, शरीर.
क्यों? कुरुख्यत्र का अर्थ शरीर हो जाता है? कौन डिक्षिनारी में है कुरुख्यत्र का अर्थ शरीर है?
तो ये सब जब जाता है. उल्टा सीधा बताता थे,
दुष्वे को भर्काते हैं, और खुद भी मिसलेड होता है. ये नहीं करना चाहता है.
व्यास देर, ये पगोधी ताकुं लिखाये, वो अर्थबात करने के लिए लिखाये तो.
समझ में की लिखाये, और सरल है, इंटरपोर्टेशन, अर्थबात,
तभी ज़रूरत है, जब उसको समझ में नहीं हो. जब बिल्कुल सरल समझ में आता है,
अले कुरुख खेत्र जगा है, और शास्त्र का अनुसार, वो धर्मक खेत्र है, हमारे आज का गाउ में कोई किसी से परस्पर जगरा हुआ, तो मंदिर में जाओ.
क्यों? अभी तक we have, पहले तो बहुत ही ज़रूरत, मंदिर में कोई ज़रूरत नहीं बोले, फैसला हो जाता है. इसी प्रकार धर्मक खेत्र में रहा है क्या? कि जदी उनका धर्मा फैसला हो जाता है, इसी लिए जुदिष्टि धितराष्ट्र पूछ रहे हैं,
जो फिर किया किया, लड़ाई करने को किया, लड़ाई किया, सब कोई समझेगा, क्यों पूछ रहे हैं, जो उदर जाकर के फिर किया किया, मतलब है जो धर्मक खेत्र में जाकर के उसका मन बदला की नहीं, एक आदमी जूट बोलता है, अगर भगवान का सामने है, उसको कहा
तो पहले धरता है, जो भगवान का सामने कैसे जूट बोलें, वो सच्ची बात बोलता है, इसी प्रकार ये विदिष्ट्र, विद्राष्ट्र, वो जानते थे ये सच्ची बात है कि पांडबल का राज्य है, उनका पिता का राज्य है, हम लोग पॉलिसी करके उनको बहुत
पॉलिसी करके, और फिर अब लड़ाई होने वाला है, तो धर्मक्षेत्र में जाखर के को फैसला तो नहीं किया, कि वो नहीं चाहते थे फैसला होने के, वो चाहते हैं जे लड़ाई को, क्योंकि वो पूरव लोग सव भाई है और पांच है, तो वो समझता था कि हमारा जो
हमारा सिपाई ज्यादा है, तो लड़ाई हो जाये तो पांच भाई खतम हो जाये फिर हमारा लड़के लोग निष्कन तक से राज्युप को करेंगे, यह होने का मतलब है, तो राज्युप का मतलब रही है, जब आप लोग भीता पढ़े हैं, उसमें अर्थवाद नहीं ल
है। अर्थ जो बताया है, वो ही अर्था है। इस प्रकार अगर पढ़ेंगे, तो गीता पढ़ने से आपको फायदा है। और अंशार्ट इधर बखने से कुछ फायदा नहीं है। यह है।
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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