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हुआ है कि आपको आवरेक दर्शन वह आया था मैं आपसे मिलने के लिए कई साल हो गए तो आपके जहां-जहां सेंटर है
सभी जगह में जाता हूं और मुझसे जो मदद बनती है कहां-कहां मोंबासा में मॉन्चियल में निर्वात में निर्वात पालेज
लगे जाएं इसको अपना आश्रम हरद्वार में है अच्छा तो अभी थोड़े-दिन पहले स्वामी भ्रह्मानन जी आए थोड़ा नेरोबी और मुंबासा के जो इंचार्ज है
तो वह छोड़ जाता है
कब आया?
चार महीने पहले
हाँ?
तीन चार महीने पहले
तीन चार मास पूरू हुआ
क्योंकि हमको दो मास हो गया बाहर निखले हो गया
प्रमानन तो गराहत का
जी हाँ
जो वहाँ नेरोबी या मंबासा के इंचार्ज है
तो इंडिया में तो इचार मार में पाया रहे थे, हमसे मिले नहीं।
तो जरूर मिले होगे आपको?
नहीं हो जाता है।
हाँ?
हम लोग यह नाम बढ़ा जाए थी?
नहीं है।
आपके आँखे, मेरों बिला जाए।
शाद हो सकता है मैं नाम बुल रहा हूँ।
यह बर्मधा रद्धक नहीं होगा, वो चाय बढ़ होगा।
चाय बर्ध।
आप लाश होगा तो?
नहीं, ठीज और स्थूल आया था।
थापतो ब्र्मधारोद्यम?
मैं उनको अच्छी तरह जानता हूं क्योंकि मेरे प्रवाचन में मुंबासन रोज आते रहे और मैं उनके मुंबा गया था कुछ बेवस्था करानी थी उन्होंने कहा कि आप यहां के भक्तों को कहिए तो उनसे जो सेवा बन पड़ी तो मैंने सब के लिए कराया था तो मैं प
अभी तो आप बिराजेंगे यहां लंडन में
अब आजी चला सवा थब्यत ठीक नहीं है
खाली जो फाव है ताब
आपने तो बड़ा उपकार किया संसार का
पश्टिम में फिर से पवरवात्य संस्कृति को लाना बड़ा कठीन काम है
हमारा भी यहां उत्सो बहुत बड़ा हुआ गुरुकुरुणिमा का
अच्छा है करीब नौ हजार लोग आये थे
अलेक्जेंडर पैलेस में अभी ग्यारा जुलाई के लिए बहुत बड़ा उत्सो था
तुम लोग भी कुछ सोच रहे हैं यहाँ एक छोटा आश्रुम बनाने की बात
और हम चाहेंगे कि हम आपके पूरक बने और आपकी संस्था हमारी पूरक बने
परस पर मिलके काम हो तो संसार में ज़्यादा अच्छा हो सकता है
हम लोग को जो प्रचाय भी जाया है कृष्टर थु भगवान सायव यह तो मालते ते
यह बोलता है सेक्टेरियल क्या रहिये इनका तो उद्देश नहाई खाली नहीं
कृष्टर है फिर भगवान होगा हमारा है भगवान है यह भगवान है वह भगवान है
सब्भवर्ण। यह तो हम रही मारेगा। कृष्णस्तु भगवार से हम। इसमें साहमत नहीं होता है।
तोड़ा सा तो अंतर पड़ी जाता है।
तो आप लो कैसे मिलेंगे वो लो।
जहां मिलने की जगह वहां में जाएंगे के लिए।
नहीं हो सकता है। वो आज पड़ सब इधर उधर जाएंगे सब भगवर्ण है।
हम कैसे मार लेंगे जेपुत भगवर्ण का समझ।
नहीं तो हम अपनी सारी सांस्कृति के जो और इतर भगवान हैं।
है।
पंच देवो पासना जो है।
देवो भगवर्ण है। वो तो मूर्खा है।
यह कैसे है।
वो कहें शास्ये मूर्ख यह है।
कामैश्ते श्तेषु कुछ ग्याला जजनति अंण्या देवता।
जो अंण्या देवताँ बजन करता है, तो मूर्ख है।
नहीं, देखिए न, देवी भागवत है।
है, सब ठीक है। भजन मना नहीं है।
प्यार्थि जो भजन करने बादा है, वो बोल पर। यह बात है।
भजन तो मना नहीं है, बेन में है।
तो भगवान ने भी यही तो कहा है कि नबुद्ध भेदम जनेद अज्ञानाम जनेद।
वो दूसरी बात है, खुशा मत दिखाती है। वो कुछ बोला रहे है।
विद्वान जो प्रत्तमान रहे है।
वो दूसरी बात है, क्यों आप विगर जाएगा। इसलिए कुछ बोला रहे है। बाकि बात ही है।
और जो बड़े-बड़े विद्वान हैं, कर्पात्री जी और गैरा,
अगर आप उनसे बात करेंगे, तो वो आपके सिद्धान का पूरा खंडण कर सकेंगी।
नहीं खंडण कर सकेंगे। हम सब कर चुका है। वो...
बाकि बहुत ही अच्छा है। जितना आपका बहेश्य अच्छा और कुछ हो नहीं है।
मैं तो इतना ही अच्छा होता हूँ। जी भगवार को नोट दे वो। ले भगवार। कृष्ट्रस्व भगवार का।
तो को भगवार चाहिए तो... जब भगवार तो दिया जाता है, तो बोलता खाली अकेले क्या भगवार नहीं हो। यही मुश्किल हो जाएगा।
बाकि हम लोग कंप्रमाइंट नहीं करते हैं। हम लोग तो ऐही बहुत है।
कार्य तो अच्छा है इतना।
कृष्टा सुरुप। और यह दूसरे देवता का भजन हम लोग मना नहीं करते हैं। यह बात नहीं है।
उसको असम्मान भी नहीं करते हैं।
यह बड़ा अच्छा है।
हाँ, हाँ.
इतना ही काफी है।
हम लोग सब देवता का मंदि मिल जाते हैं, नमस्तार करते हैं। जिसको जितना सम्मान है वो देंगे।
हाँ, अच्छा है।
जाता है।
पहले इतना ही चाहिए और क्या?
चैतन महापू पहले कहते हैं, तिनात भी सुनी चेन और तदोर भी सहितू।
हमाने लोग बहुत अच्छा हैं।
जब आधारहर चीवची को हम लोग सम्मान देते हैं।
अजिम्बर्वर्य देवता है वो तो हम सम्मान नहीं देते हैं।
नहीं।
बाकि कृष्ण संपर्क में, जैसे दुर्गा देवी है, उनका हम लोग पूजा करते हैं, लड़की तरह से।
सिष्टि स्थिति पलय साधन सक्ति रेका छाये वज्ञस्रम् भुवनानि विमर्ति दुर्गा।
दुर्गा तो शालक नहीं है, सिष्टि स्थिति पलय साधन सक्ति रेका।
सिष्टि स्थिति पलय साधन सक्ति रेका छाये वज्ञस्रम् भुवनानि विमर्ति दुर्गा।
इच्छानु लुपवपी जश्च चाचेष्ठते शाह।
वो जो शाह है इंडिबेंडर नहीं जाए, इच्छानु लुपवपी जश्च चाचेष्ठते शाह।
यह हम लोग होते हैं। और यह लोग कहते हैं, जो जैसे दुर्गा है, जैसे काली है,
और जैसे वह कृष्णा है, और जैसे रिघू-भाई वहें सबसे हैं, और जैसे हां-भाई, तुम-भाई, तकृपये।
यह हम लोग अपनी मार्णेता हैं। सीख है।
यह मालिक है कृष्णौ। आज नोकृत चाकर है, छोटा-बड़ा।
लोग का चाकार भी छटा-बड़ा होता है। यह हम लोग मानते हैं।
लोग अपनी-अपनी मानने का है। ठीक है।
नहीं, यह शास्त्रिया है। क्योंकि भगवार खुद बोल है। मत तप्पड़ताराम राण्दियों।
किन चीज़ा श्री जाता है। तो हम लोग बोल खाये। उसे को मानते हैं।
ज्यादा शास्त्रिया हम लोग नहीं जाते हैं।
जितना भगवार बता देते हैं, मैंने सब हो गया है। ताकि उसी में काम हो रहा है।
किसने कोई समय है? भगवार जब खुद बोल रहा है, मत तप्पड़ताराम राण्दियों।
किन चीज़ा श्री जाता है। मैंने सूत्र मिलूं।
सूत्र मिलूं। फिर हमको आप दूसरा बात में जानें। कह दूंगे।
सम्मान तो देंगे समि को। बाकि जो भगवार है, सर्वई सज्ञ पूर्ण भगवार,
विवोई सज्ञ जश्य समन कर समिर्ज्य जश्य जश्य। वो तो कृष्ण होता है।
कृष्ण अवधार में भी भागबत नहीं होता है, इत्ये चाम चला हुँ से।
कृष्ण सुरु भगवार.
और जो सुरु-भगवार का अवधार है, कोई अं स्य है, कोई कला है।
बाकि जो पूर्ण, सर्वई सज्ञ पूर्ण भगवार, वो तो कृष्ण है।
और वो हरे राम ने आप बलराम जी को मानते हैं ना? नहीं. राम का रख होता है बगवार? तो आप बलराम जी जी, राम जी जी यस्मी जी. प्रमंत्र योगिनो यस्मी जी सार्थी।
सत्यारण देते हैं। किति राम पदे नाशु पदे ब्रह्म नहीं पदे।
दाशरत्यी पुने मां देते हैं।
हाँ, क्यों नहीं? यह जो वे लोग बोलते हैं।
अभी हमारा बुंबई में है, यह मंदिर हो रहा है। बगवार राम चंदरी मंदिर, हो गया है।
तो यह जाता है, राम रक्षण. राम रक्षण, बीव, gostar. पहले में टह महकरण।
रामादि मुथ्यसि कगाणियमेन कृष्थन नणा अभ्भाव मकरद्भुँ भनेश कृष्ण कृष्ण chaoticämु भगवार्ण।
राम आधिमुत्तिष कलानियम यद तिष्ठन लानावतार्मकरद्धुमनेश्वु। किन्तु कृष्णा।
संगुमा परमप्रुमाण्यों।
वाट है ये? कृष्ण संगुमा परमप्रुमाण्यों।
परम कुमादु ये शरव परम कृष्ण शतिधारण दे विप्रण।
तो भगवार्ण, पूर्ण भगवार्ण, पूर्ण कृष्ण,
और अर्जुन्भी महाराज परम्धाव वित्तव परमुखारि देव।
तो यही आमलों का वित्रात कॉर्शिस्ट हो रहा है, जो भगवार्ण है।
तो बोलो भगवार्ण कृष्ण है, और उसका मज़न करो। कोई मुश्किल नहीं है।
सत्या मतीय के लिए।
सब कोई कर सकता है, यहें से कोई मुश्किल नहीं है।
बड़े विद्वाल भी कर सकता है। मूर्क शिव, मूर्क कुपया है।
भगवार्ण को नमस्तायप करना है कई मुश्किल नहीं है।
माग नमस्कृत। यही बात है।
हुआ है कि मैं एक मां से था जो पंधा दिन होता है अच्छा लेस्टर में मेरे कार्यक्रम आफ दिल हुए और यहां तक दिन हुए
बेंच टाउन हॉल में लगता है चारजार लोग लोग रोज आते थे और फिर यह कार्यक्रम हुआ गुरुकोणिनों का इसमें दस अजार लगता था
मुस्लिम तो पहले जाते हैं उनको लाने का प्रयार्थन करिये महराजय यहां बहुत मुस्लिमान चीज चाया हुआ है इरान में मुंदी है टेलाइन में
वो उसका नाम था अत्तर्मियां और उसका नाम खुद दिया अत्तर्रिशी अत्त्रेवरिशी
यहां भी एक है यहां भी एक है
एक बच्चा नीचे मठोर एक्षिन देत हुई है एक मुद्धर्मान प्रोफेसर
तो वो उर्दु पुंडवेरा लगाने लगे तक तर्वान देशा
भावण तो सार्त्राय जो शिष्य बनेगा उसको तो चार चीज पाले चढ़े
अवयद स्रिशंगत और माँच माँच दे ये अण्डा लिये सा चड़ने पड़ेगा
और नशा, शरापादी तो चोड़नी पड़ेगा, चाय भी चोड़नी पड़ेगा, बीरी भी चोड़नी पड़ेगा।
यह सर्थ जो माने गए, उसका हम शिष्य बनाते हैं।
हमारा शिष्य का विदे कोई चाय पीते नहीं।
इसलिए तो हमारा मुश्किल है।
क्योंकि आपके तो बहुत हम इसलिए कोई मुश्किल क्या है?
नहीं।
ज़ाज़ाज़ा शिष्य हो गए, आपने काम थोड़ी हैं।
चाय, चाय नहीं पीते हैं। हमारा जिन्हार में सब बोलन मन पाए, चाय नहीं मिलें।
आप जब हर दौर पठा रहें तो आप अपने मंत्री से सूचना दिलाएं, हम लोग भी अपने आश्रम में आपका स्वास्थ्य करें।
जरूर जाएं। अब तो इनर्जी कम हो रहा है।
ना हूँ, बाब।
एक चीज़ी है, सो गया।
नहीं हूँ, भागत का प्रमाण। यह भी बड़ा है। पड़िश्यों में।
और 102 जगह में सेंटर है, दो-तीन-दो जगह ठायते हैं, तो एक फिर...
बच्च पूरा बजाता है।
एक बच्च पूरा बजाता है।
एक सेंटर में दो-तीन, तीन मिनपार, तीन-दो ग्राहतर दिन में, साग दिन रास्ते में निकल जाने, नहां नहीं जाने में।
लगी यह लोग सार्थ, यह अमेरिकार बालक लोग बड़ा सहार कर रहे हैं। हर तरह से।
यह सब किताब छपने के लिए... यह नहीं होता है।
लाखों कर्मों पहुंच जाएगी।
आह. लेकिन किताब प्रावर अजार है। वित्ता एक हो।
डेली सिक्स्टी थाउजन डॉरार का किताब भी जाता है।
अभी इन्दी वे सब...
नहीं जाएगी।
आह.
प्रेंज, चर्वर, स्पैनिस्ट, पोटुगिस्ट, चाइनिस्ट, यापानिस्ट, और इंग्रीश जाईवे।
तो साथ किताब, सिक्स्टी थाउजन डॉरार था जुंगी।
आज्ञा देंगे
बहुत महण रहने देया
आई ये
अब ताकल तुम्हें बही तुम्हारा
अब जब आप भरत पता रहेंगे तो बंबई से आपको ले साएगा
जाएगे
जाएगे बारा
अरेकेश्वाद
अरेकेश्वाद
अरेकेश्वाद
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥