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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 9: मुक्ति
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अध्याय 8: भगवान् कपिलदेव से सगर-पुत्रों की भेंट
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श्लोक 20
श्लोक
9.8.20
तत्रासीनं मुनिं वीक्ष्य कपिलाख्यमधोक्षजम् ।
अस्तौत् समाहितमना: प्राञ्जलि: प्रणतो महान् ॥ २० ॥
अनुवाद
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महान अंशुमान ने देखा कि विष्णु अवतार कपिल नामक ऋषि घोड़े के निकट बैठे हैं। अंशुमान ने हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया और ध्यानपूर्वक उनकी प्रार्थना की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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