श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 9: मुक्ति » अध्याय 6: सौभरि मुनि का पतन » श्लोक 28 |
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| | श्लोक 9.6.28  | |  | | उत्थितास्ते निशम्याथ व्युदकं कलशं प्रभो ।
पप्रच्छु: कस्य कर्मेदं पीतं पुंसवनं जलम् ॥ २८ ॥ | | अनुवाद | | जब सारे ब्राह्मण जगे और उन्होंने देखा कि जलपात्र खाली हुआ है तो उन्होंने पूछा कि संतान उत्पन्न करने वाले इस जल को किसने पिया है? | |
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