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श्लोक 25
श्लोक
9.6.25
बहुलाश्वो निकुम्भस्य कृशाश्वोऽथास्य सेनजित् ।
युवनाश्वोऽभवत् तस्य सोऽनपत्यो वनं गत: ॥ २५ ॥
अनुवाद
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निकुम्भ के पुत्र बहुलाश्व हुए, बहुलाश्व के पुत्र कृशाश्व, कृशाश्व के पुत्र सेनजित और सेनजित के पुत्र युवनाश्व हुए। युवनाश्व को कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने गृहस्थ जीवन त्यागकर जंगल की ओर रुख किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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