वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 9: मुक्ति
»
अध्याय 4: दुर्वासा मुनि द्वारा अम्बरीष महाराज का अपमान
»
श्लोक 70
श्लोक
9.4.70
तपो विद्या च विप्राणां नि:श्रेयसकरे उभे ।
ते एव दुर्विनीतस्य कल्पेते कर्तुरन्यथा ॥ ७० ॥
अनुवाद
play_arrowpause
ब्राह्मण के किए गए तप और विद्या तो कल्याणकारी ही होते हैं, पर जब ये तप और विद्या अति अभिमानी में होते हैं तो इनसे बड़ा दूसरा कोई हानिकारक नहीं होता।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.