श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 4: दुर्वासा मुनि द्वारा अम्बरीष महाराज का अपमान  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  9.4.49 
 
 
तदभिद्रवदुद्वीक्ष्य स्वप्रयासं च निष्फलम् ।
दुर्वास दुद्रुवे भीतो दिक्षु प्राणपरीप्सया ॥ ४९ ॥
 
अनुवाद
 
  जब दुर्वासा मुनि ने पाया कि उनकी योजना विफल हो गयी थी और सुदर्शन चक्र उनकी ओर बढ़ रहा है, तो वे बेहद डर गए और अपनी जान बचाने के लिए हर दिशा में भागने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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