यो मामतिथिमायातमातिथ्येन निमन्त्र्य च ।
अदत्त्वा भुक्तवांस्तस्य सद्यस्ते दर्शये फलम् ॥ ४५ ॥
अनुवाद
महाराज अम्बरीष, तूने मुझे अतिथि मानकर भोजन के लिए बुलाया, परन्तु खाने के बजाय पहले तूने खूब खा लिया है। तेरे इस बुरे व्यवहार के कारण मैं तुझे इसका दण्ड देना चाहता हूँ।