श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 4: दुर्वासा मुनि द्वारा अम्बरीष महाराज का अपमान  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  9.4.24 
 
 
स्वर्गो न प्रार्थितो यस्य मनुजैरमरप्रिय: ।
श‍ृण्वद्भिरुपगायद्भिरुत्तमश्लोकचेष्टितम् ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  महाराज अम्बरीष की प्रजा भगवान के गुणगान करने और उनके कार्यों के बारे में सुनने की अभ्यस्त थी। इस तरह से वे कभी भी स्वर्गलोक में जाने की इच्छा नहीं रखते थे, जो कि देवताओं के लिए भी बहुत प्रिय है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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