तत्पश्चात् राजा ने अपनी परम सुन्दरी पुत्री का विवाह परम शक्तिशाली बलदेव से कर दिया और सांसारिक जीवन से वैराग्य प्राप्त कर वह नर-नारायण की सेवा करने के लिए बदरिकाश्रम चला गया।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध नौ के अंतर्गत तीसरा अध्याय समाप्त होता है ।