वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 9: मुक्ति
»
अध्याय 3: सुकन्या तथा च्यवन मुनि का विवाह
»
श्लोक 33
श्लोक
9.3.33
तद् गच्छ देवदेवांशो बलदेवो महाबल: ।
कन्यारत्नमिदं राजन् नररत्नाय देहि भो: ॥ ३३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे राजन, तुम यहाँ से चले जाओ और अपनी पुत्री को भगवान बलदेव को अर्पित कर दो जो अभी भी यहाँ उपस्थित हैं। वे परम शक्तिशाली हैं। निःसंदेह, वे स्वयं भगवान हैं और उनके अंश रूपी भगवान विष्णु ही हैं। तुम्हारी पुत्री उन्हें दान में देने योग्य है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.