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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 9: मुक्ति
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अध्याय 3: सुकन्या तथा च्यवन मुनि का विवाह
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श्लोक 28
श्लोक
9.3.28
सोऽन्त:समुद्रे नगरीं विनिर्माय कुशस्थलीम् ।
आस्थितोऽभुङ्क्त विषयानानर्तादीनरिन्दम ।
तस्य पुत्रशतं जज्ञे ककुद्मिज्येष्ठमुत्तमम् ॥ २८ ॥
अनुवाद
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हे शत्रु विजेता महाराज परीक्षित, इस रेवत ने समुद्र के भीतर कुशस्थली नाम की एक नगरी बसाई। वहाँ रहकर उसने आनर्त और अन्य भूखंडों पर शासन किया। उसके सौ बेटे थे जिनमें से सबसे बड़े का नाम ककुद्मी था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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