भगवान कृष्ण ने भोज, वृष्णि, अन्धक, मधु, शूरसेन, दशार्ह, कुरु, सृञ्जय और पाण्डु के वंशजों के सहयोग से अनेक कार्य संपन्न किए। अपनी मनमोहक मुस्कान, अपने स्नेहमयी व्यवहार, अपने उपदेशों और गोवर्धन पर्वत को उठाने जैसी अद्भुत लीलाओं के द्वारा भगवान ने अपने दिव्य शरीर में प्रकट होकर पूरे मानव समाज को प्रसन्न किया।