श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 24: भगवान् श्रीकृष्ण  »  श्लोक 56
 
 
श्लोक  9.24.56 
 
 
यदा यदा हि धर्मस्य क्षयो वृद्धिश्च पाप्मन: ।
तदा तु भगवानीश आत्मानं सृजते हरि: ॥ ५६ ॥
 
अनुवाद
 
  जिस समय धर्म की हानि होती है और अधर्म की वृद्धि होती है, उस समय परम नियन्ता, भगवान श्री हरि, स्वयं अपनी इच्छा से प्रकट होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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