श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 24: भगवान् श्रीकृष्ण  »  श्लोक 47-48
 
 
श्लोक  9.24.47-48 
 
 
सुभद्रो भद्रबाहुश्च दुर्मदो भद्र एव च ।
पौरव्यास्तनया ह्येते भूताद्या द्वादशाभवन् ॥ ४७ ॥
नन्दोपनन्दकृतकशूराद्या मदिरात्मजा: ।
कौशल्या केशिनं त्वेकमसूत कुलनन्दनम् ॥ ४८ ॥
 
अनुवाद
 
  पौरवी के गर्भ से भूत, सुभद्र, भद्रबाहु, दुर्मद और भद्र सहित बारह पुत्र हुए। मदिरा के गर्भ से नंद, उपनंद, कृतक, शूर और अन्य पुत्र हुए। भद्रा [कौशल्या] ने केवल एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम केशी था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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