आसङ्ग: सारमेयश्च मृदुरो मृदुविद् गिरि: ।
धर्मवृद्ध: सुकर्मा च क्षेत्रोपेक्षोऽरिमर्दन: ॥ १६ ॥
शत्रुघ्नो गन्धमादश्च प्रतिबाहुश्च द्वादश ।
तेषां स्वसा सुचाराख्या द्वावक्रूरसुतावपि ॥ १७ ॥
देववानुपदेवश्च तथा चित्ररथात्मजा: ।
पृथुर्विदूरथाद्याश्च बहवो वृष्णिनन्दना: ॥ १८ ॥
अनुवाद
इन बारह भाइयों के नाम आसंग, सारमेय, मृदुर, मृदुवित, गिरि, धर्मवृद्ध, सुकर्मा, क्षेत्रोपेक्ष, अरिमर्दन, शत्रुघ्न, गन्धमाद और प्रतिबाहु थे। इन भाइयों की एक बहन भी थी जिसका नाम सुचारा था। अक्रूर के दो बेटे थे, जिनके नाम देववान और उपदेव थे। चित्ररथ के पृथु, विदूरथ आदि कई बेटे थे। ये सभी वृष्णिवंशी कहलाए।