बहुत-बहुत पहले, ज्यमघ ने देवी-देवताओं और पितरों की पूजा कर उन्हें खुश कर दिया था। अब उनकी इच्छा से ज्यमघ के वचन सच हो गए। यद्यपि शैब्या निस्संतान थी, लेकिन देवी-देवताओं की कृपा से वह गर्भवती हुई और समय आने पर उसने विदर्भ नाम के बच्चे को जन्म दिया। क्योंकि बच्चे के जन्म से पहले ही उस लड़की को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया गया था, इसलिए जब विदर्भ बड़ा हुआ तो उसने उससे विवाह कर लिया।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध नौ के अंतर्गत तेईसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।