पञ्चाशीतिसहस्राणि ह्यव्याहतबल: समा: ।
अनष्टवित्तस्मरणो बुभुजेऽक्षय्यषड्वसु ॥ २६ ॥
अनुवाद
कार्तवीर्यार्जुन ने अस्सी हजार वर्षों तक लगातार पूर्ण शारीरिक शक्ति और अचूक स्मृति के साथ भौतिक ऐश्वर्यों का भोग किया। दूसरे शब्दों में, उसने अपनी छहों इंद्रियों से असीम भौतिक ऐश्वर्यों का आनंद लिया।