श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 23: ययाति के पुत्रों की वंशावली  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  9.23.25 
 
 
न नूनं कार्तवीर्यस्य गतिं यास्यन्ति पार्थिवा: ।
यज्ञदानतपोयोगै: श्रुतवीर्यदयादिभि: ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  इस संसार का कोई अन्य राजा न यज्ञ में, न दान में, न तपस्या में, न योगशक्ति में, न शिक्षा में, न बल में और न दया भाव में कार्तवीर्यार्जुन के समान नहीं हो सकता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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