श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 22: अजमीढ के वंशज  »  श्लोक 46-48
 
 
श्लोक  9.22.46-48 
 
 
भविता सहदेवस्य मार्जारिर्यच्छ्रुतश्रवा: ।
ततो युतायुस्तस्यापि निरमित्रोऽथ तत्सुत: ॥ ४६ ॥
सुनक्षत्र: सुनक्षत्राद् बृहत्सेनोऽथ कर्मजित् ।
तत: सुतञ्जयाद् विप्र: शुचिस्तस्य भविष्यति ॥ ४७ ॥
क्षेमोऽथ सुव्रतस्तस्माद् धर्मसूत्र: समस्तत: ।
द्युमत्सेनोऽथ सुमति: सुबलो जनिता तत: ॥ ४८ ॥
 
अनुवाद
 
  जरासन्ध के पुत्र सहदेव के पुत्र का नाम मार्जारि होगा। मार्जारि से श्रुतश्रवा, श्रुतश्रवा से युतायु, युतायु से निरमित्र, निरमित्र से सुनक्षत्र, सुनक्षत्र से बृहत्सेन, बृहत्सेन से कर्मजित, कर्मजित से सुतञ्जय, सुतञ्जय से विप्र, विप्र से शुचि, शुचि से क्षेम, क्षेम से सुव्रत, सुव्रत से धर्मसूत्र, धर्मसूत्र से सम, सम से द्युमत्सेन, द्युमत्सेन से सुमति और सुमति से सुबल नाम का पुत्र होगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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