श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 22: अजमीढ के वंशज  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  9.22.38 
 
 
तस्य पुत्र: शतानीको याज्ञवल्‍क्यात् त्रयीं पठन् ।
अस्त्रज्ञानं क्रियाज्ञानं शौनकात् परमेष्यति ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  जनमेजय का पुत्र शतानीक ऋषि याज्ञवल्क्य से तीनों वेद और कर्मकाण्ड सम्पन्न करने की कला सीखेगा। कृपाचार्य से वह युद्ध-कला भी सीखेगा तथा शौनक ऋषि से दिव्य ज्ञान अर्जित करेगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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