श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 22: अजमीढ के वंशज  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  9.22.36 
 
 
जनमेजयस्त्वां विदित्वा तक्षकान्निधनं गतम् ।
सर्पान् वै सर्पयागाग्नौ स होष्यति रुषान्वित: ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  तक्षक साँप द्वारा हुई तुम्हारी मौत के कारण तुम्हारा पुत्र जनमेजय बहुत नाराज़ होगा और संसार के सभी साँपों को खत्म करने के लिए यज्ञ करेगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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