श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 22: अजमीढ के वंशज  »  श्लोक 12-13
 
 
श्लोक  9.22.12-13 
 
 
देवापि: शान्तनुस्तस्य बाह्लीक इति चात्मजा: ।
पितृराज्यं परित्यज्य देवापिस्तु वनं गत: ॥ १२ ॥
अभवच्छान्तनू राजा प्राङ्‌महाभिषसंज्ञित: ।
यं यं कराभ्यां स्पृशति जीर्णं यौवनमेति स: ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रतीप के तीनों पुत्र देवापि, शान्तनु और बाह्लीक थे। देवापि अपने पिता का राज्य त्याग कर जंगल चला गया, इसलिए शान्तनु राजा हुआ। शान्तनु, जो अपने पिछले जन्म में महाभिष कहलाता था, उसके पास किसी भी व्यक्ति को अपने हाथों के स्पर्श से बुढ़ापे से जवानी में बदलने की शक्ति थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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