श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 21: भरत का वंश  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  9.21.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
वितथस्य सुतान् मन्योर्बृहत्क्षत्रो जयस्तत: ।
महावीर्यो नरो गर्ग: सङ्‍कृतिस्तु नरात्मज: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा: मरुद्गणों द्वारा लाकर दिए जाने के कारण भरद्वाज का नाम वितथ हुआ। वितथ का पुत्र मन्यु था, जिसके पाँच पुत्र थे - बृहत्क्षत्र, जय, महावीर्य, नर और गर्ग। इन पाँचों में से नर के पुत्र का नाम संकृति था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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