चक्रवर्ती भरत समस्त विश्व के शासक थे और उनके पास एक विशाल साम्राज्य तथा अजेय योद्धाओं की ऐश्वर्यता थी। उनके पुत्र और परिवार को वो अपना जीवन मानते थे। परंतु अंततः उन्होंने इन्हें आध्यात्मिक उन्नति में बाधा के रूप में देखा और इसलिए उन्होंने इनका भोग बन्द कर दिया।