ओमित्युक्ते यथाधर्ममुपयेमे शकुन्तलाम् ।
गान्धर्वविधिना राजा देशकालविधानवित् ॥ १६ ॥
अनुवाद
जब शकुन्तला ने महाराज दुष्मन्त के विवाह के प्रस्ताव पर चुप्पी साधी तो सहमति पूर्ण हो गई। तब विवाह के नियमों को जानने वाले उस राजा ने तुरंत वैदिक प्रणव (ओम) का उच्चारण किया, जैसाकि गन्धर्वों में विवाह के अवसर पर किया जाता है।