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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 9: मुक्ति
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अध्याय 18: राजा ययाति को यौवन की पुन:प्राप्ति
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श्लोक 49
श्लोक
9.18.49
यस्मिन्निदं विरचितं व्योम्नीव जलदावलि: ।
नानेव भाति नाभाति स्वप्नमायामनोरथ: ॥ ४९ ॥
अनुवाद
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परम भगवान वासुदेव, जिन्होंने यह विशाल जगत बनाया है, स्वयं को सर्वव्यापी रूप में प्रकट करते हैं, जैसे आकाश बादलों को धारण करता है। और जब यह सृष्टि मिट जाती है तब सब कुछ भगवान विष्णु में प्रवेश कर जाता है और सारे भेद-भाव समाप्त हो जाते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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