श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 18: राजा ययाति को यौवन की पुन:प्राप्ति  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  9.18.38 
 
 
इति लब्धव्यवस्थान: पुत्रं ज्येष्ठमवोचत ।
यदो तात प्रतीच्छेमां जरां देहि निजं वय: ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  जब ययाति को शुक्राचार्य से यह वरदान मिला, तो उन्होंने अपने सबसे बड़े पुत्र से कहा, "हे पुत्र यदु, कृपया मेरी वृद्धावस्था और कमज़ोरी के बदले में मुझे अपनी जवानी दे दो।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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