वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 9: मुक्ति
»
अध्याय 18: राजा ययाति को यौवन की पुन:प्राप्ति
»
श्लोक 35
श्लोक
9.18.35
प्रियामनुगत: कामी वचोभिरुपमन्त्रयन् ।
न प्रसादयितुं शेके पादसंवाहनादिभि: ॥ ३५ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
राजा ययाति कामुक तो बहुत थे ही इसलिए वह अपनी पत्नी के पीछे-पीछे गए, उसे पकड़ लिया और मीठे शब्द कहा और उसके पैर दबाकर उसे मनाने का प्रयास भी किया, लेकिन किसी तरह भी उसे मना न पाए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.