श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 18: राजा ययाति को यौवन की पुन:प्राप्ति  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  9.18.35 
 
 
प्रियामनुगत: कामी वचोभिरुपमन्त्रयन् ।
न प्रसादयितुं शेके पादसंवाहनादिभि: ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  राजा ययाति कामुक तो बहुत थे ही इसलिए वह अपनी पत्नी के पीछे-पीछे गए, उसे पकड़ लिया और मीठे शब्द कहा और उसके पैर दबाकर उसे मनाने का प्रयास भी किया, लेकिन किसी तरह भी उसे मना न पाए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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