वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 9: मुक्ति
»
अध्याय 18: राजा ययाति को यौवन की पुन:प्राप्ति
»
श्लोक 33
श्लोक
9.18.33
यदुं च तुर्वसुं चैव देवयानी व्यजायत ।
द्रुह्युं चानुं च पूरुं च शर्मिष्ठा वार्षपर्वणी ॥ ३३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
शर्मिष्ठा ने द्रुह्यु, अनु और पुरु को जन्म दिया जबकि देवयानी ने यदु और तुर्वसु को जन्म दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.