श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 18: राजा ययाति को यौवन की पुन:प्राप्ति  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  9.18.24 
 
 
गते राजनि सा धीरे तत्र स्म रुदती पितु: ।
न्यवेदयत्तत: सर्वमुक्तं शर्मिष्ठया कृतम् ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  जब विद्वान राजा अपने महल को लौट गया, तब देवयानी रोती हुई अपने घर आई और उसने अपने पिता शुक्र को शर्मिष्ठा से घटी सारी बात बताई। उसने बताया कि कैसे उसे कुएँ में फेंक दिया गया था, लेकिन फिर राजा द्वारा उसे बचा लिया गया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.