गते राजनि सा धीरे तत्र स्म रुदती पितु: ।
न्यवेदयत्तत: सर्वमुक्तं शर्मिष्ठया कृतम् ॥ २४ ॥
अनुवाद
जब विद्वान राजा अपने महल को लौट गया, तब देवयानी रोती हुई अपने घर आई और उसने अपने पिता शुक्र को शर्मिष्ठा से घटी सारी बात बताई। उसने बताया कि कैसे उसे कुएँ में फेंक दिया गया था, लेकिन फिर राजा द्वारा उसे बचा लिया गया।