श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 16: भगवान् परशुराम द्वारा विश्व के क्षत्रियों का विनाश  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  9.16.37 
 
 
एवं कौशिकगोत्रं तु विश्वामित्रै: पृथग्विधम् ।
प्रवरान्तरमापन्नं तद्धि चैवं प्रकल्पितम् ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  विश्वामित्र ने कुछ पुत्रों को शाप दिया और कुछ को आशीर्वाद दिया, और एक पुत्र को गोद भी लिया। इस प्रकार कौशिक वंश में विविधताएँ थीं, परंतु इन सभी पुत्रों में देवरात को सबसे बड़ा माना जाता था।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध नौ के अंतर्गत सोलहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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