श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 16: भगवान् परशुराम द्वारा विश्व के क्षत्रियों का विनाश  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  9.16.35 
 
 
ज्येष्ठं मन्त्रद‍ृशं चक्रुस्त्वामन्वञ्चो वयं स्म हि ।
विश्वामित्र: सुतानाह वीरवन्तो भविष्यथ ।
ये मानं मेऽनुगृह्णन्तो वीरवन्तमकर्त माम् ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार, युवा मधुच्छान्दाओं ने शुनःशेफ को अपना बड़ा भाई मान लिया और उससे कहा, "हम आपके निर्देशों का पालन करेंगे।" तब विश्वामित्र ने अपने आज्ञाकारी पुत्रों से कहा, "क्योंकि तुम लोगों ने शुनःशेफ को अपना बड़ा भाई मान लिया है, इसलिए मैं बहुत संतुष्ट हूँ। मेरा आदेश स्वीकार करके तुम लोगों ने मुझे योग्य पुत्रों का पिता बनाया है, इसलिए मैं तुम सबको पुत्रों का पिता बनने का आशीर्वाद देता हूँ।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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